खुली आंखो से साफ साफ दिखाई देना कभी कभी मुश्कील बन जाती है |
और अंधेरे मै सोना चाहो तो,
आंखे बंद करने कि आदत साथ नाही देती |
अंधेरा तो वैसे हि अपने आप मी पुरा होता है |
ये समझने से पहले हि
रोशनी कि चाहत उसे भी उलझन बना देती है | <
और अंधेरे मै सोना चाहो तो,
आंखे बंद करने कि आदत साथ नाही देती |
अंधेरा तो वैसे हि अपने आप मी पुरा होता है |
ये समझने से पहले हि
रोशनी कि चाहत उसे भी उलझन बना देती है | <