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Dec 16, 2011

खुली आंखो से साफ साफ दिखाई देना कभी कभी मुश्कील  बन जाती है |


और अंधेरे मै  सोना चाहो तो,
आंखे बंद करने कि आदत साथ नाही देती |
अंधेरा तो वैसे हि अपने आप मी पुरा होता है |
ये समझने से पहले हि
रोशनी कि चाहत उसे भी उलझन बना देती है | < 

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