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Feb 25, 2013

कल जब घर बेचने का  ख्याल आया ।
तो सोचा यादों से पहले बात कर लूँ |
कुछ मान गयी ।
कुछ कह न पायी ।
कुछ दिवार पर ही रहना चाहती है ।
और
कुछ खुश थी मेरे जाने पर ।
.......................................
जब घर खाली करने का समय आया तब,
आहिस्ते आहिस्ते उस सामान का बोझ बढता चला गया
लगा और कुछ यादे अगर तैयार होजाए तो पुछलू ।
वो तैयार तो नहि लगी पर
फिरभी मैने दिवार के उखडे हुए रंग का तुकडा अपने साथ ले लिया
और
कुछ चित्र दिवार से फिर टांग दि ।
कुछ पौधे भी बरामदे मे रख दिये ।
और एक घडी जिसने सारा बोझ उतार दिया ।
जिस्ने सारा वकत समा रखा था।  
                            
अभिजीत 24/02/2013




Feb 9, 2013

Progress of birth

Progress of birth ink and pencil on paper


Feb 7, 2013

Painting 2013

Painting3

Painting 2

Painting 1

..................

भूक लागण आता सवयीच झालंय
नाही मिळाल कि
शरीर मात्र खायला सुरवात करत स्वत :हून स्व:तहाला
नैसर्गिक रित्या अगदी व्यवस्थित
अभिजित ७/२/१३

खरतर तारीख काही खरी नाही .
तारीख शेवट दर्शवते.
महत्व तर त्या दिवसच
जेव्हा कळेल
सुरवात कधी झाली ..