कुछ संभालो मतलब कुछ गिर जरूर रहा है ।
जख्म पर दिल संभलना चाह रहा है ।
अपनी फितरत ही उस कागज पर पड़ी हुई कलम जैसी है।
जिसे हमें छोड़ सब अपनी लिखना चाह रहे है ।
कागज से याद आया ,
आज बाहर बारिश का माहोल बन चूका है |
क्यों न कलम छोड़ कश्ती बनाकर ,
भाग चला जाऊ ।
कागज पर लिखे हुए उन चंद अल्फाज रोने से बहतर ,
कोरे कागज की कश्तिया बनाकर कुछ और जिन्दगी देख आउ ।
----------------------------------------------------------------------------------------अभिजित
----------------------------------------------------------------------------------------अभिजित
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