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Jun 11, 2013

१ १जून २ ० १ ३

कुछ संभालो मतलब कुछ गिर जरूर रहा है । 
जख्म पर दिल संभलना चाह रहा है । 
अपनी फितरत ही उस कागज पर पड़ी हुई कलम जैसी है। 
जिसे हमें छोड़ सब अपनी लिखना चाह  रहे है ।
कागज से याद आया ,
आज बाहर बारिश का माहोल बन चूका है |
क्यों न कलम छोड़ कश्ती बनाकर ,
भाग चला जाऊ । 
कागज पर लिखे हुए  उन चंद  अल्फाज  रोने से बहतर ,
कोरे कागज की कश्तिया बनाकर कुछ और जिन्दगी देख आउ । 
----------------------------------------------------------------------------------------अभिजित 

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